भारत और बांग्लादेश के संबंध एक बार फिर गंभीर बाधा का सामना कर रहे हैं। ढाका में युवा नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद भारत-विरोधी प्रदर्शनों ने दोनों देशों के रिश्तों में नई दरार पैदा कर दी है। हादी, बांग्लादेश में पिछले वर्ष हुए जुलाई आंदोलन का एक प्रमुख चेहरा थे और उनकी हत्या बढ़ते राजनीतिक तनाव के बीच हुई, जिससे व्यापक अशांति फैल गई। इन प्रदर्शनों के बाद बांग्लादेश सरकार ने भारत में वीज़ा सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया।
इस बीच, बांग्लादेश में एक और घटना को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए। मैमनसिंह में युवा हिंदू व्यक्ति दीपु चंद्र दास की पीट-पीटकर हत्या के बाद देश भर में आक्रोश फैल गया। सोमवार को हिंदू धार्मिक संगठनों और अल्पसंख्यक अधिकार समूहों ने ढाका के नेशनल प्रेस क्लब के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने इस घटना को धार्मिक उग्रवाद, अल्पसंख्यकों पर हमलों और सरकारी निष्क्रियता के व्यापक पैटर्न का हिस्सा बताया।
वक्ताओं ने कहा कि कारखाने में काम करने वाले दीपु दास, जिन्हें हाल ही में उनकी मेहनत और समर्पण के लिए पदोन्नति मिली थी, पर धार्मिक अपमान का झूठा आरोप लगाया गया और इसके बाद उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई।
वहीं भारत ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा, कूटनीतिक मिशनों की सुरक्षा और बांग्लादेश से सामने आ रही कथित भ्रामक कहानियों को लेकर गंभीर चिंता जताई है।
बांग्लादेश में हालिया अशांति के 10 प्रमुख बिंदु
हालिया घटनाओं पर चर्चा के लिए अमेरिका ने यूनुस से की बातचीत
अमेरिका के दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के विशेष दूत सर्जियो गोर ने बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस से लगभग आधे घंटे तक फोन पर बातचीत की।
फरवरी 12 को आम चुनाव कराने का दोहराया वादा
यूनुस ने इस बातचीत के दौरान 12 फरवरी को आम चुनाव कराने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि देश कथित तौर पर पिछली सरकार के दौरान छीने गए मतदान अधिकारों को फिर से हासिल करने के लिए “बेसब्री से इंतजार” कर रहा है।
अमेरिकी विदेश विभाग ने साझा की बातचीत की जानकारी
दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के लिए अमेरिकी ब्यूरो ने बताया कि इस कॉल के दौरान सर्जियो गोर ने बांग्लादेश में “हालिया घटनाओं” पर चर्चा की।
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर जारी बयान में कहा गया, “आज विशेष दूत और राजदूत सर्जियो गोर ने मुख्य सलाहकार यूनुस के साथ सार्थक बातचीत की, जिसमें बांग्लादेश की हालिया स्थिति और व्यापार के जरिए समृद्धि बढ़ाने में अमेरिका के हितों पर चर्चा हुई।”
प्रदर्शनों के बीच भारत में वीज़ा सेवाएं निलंबित
बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के बीच बांग्लादेश ने नई दिल्ली स्थित अपने उच्चायोग और त्रिपुरा व सिलीगुड़ी स्थित मिशनों में वीज़ा सेवाएं निलंबित कर दीं। सरकार ने इसके लिए “अपरिहार्य परिस्थितियों” का हवाला दिया।
राजनयिक परिसरों के बाहर प्रदर्शन
यह फैसला बांग्लादेशी राजनयिक परिसरों के बाहर हुए प्रदर्शनों के बाद लिया गया। इससे पहले भारत ने भी प्रदर्शनकारियों द्वारा परिसर में घुसने की कोशिश के बाद चटगांव स्थित अपने मिशन में वीज़ा सेवाएं निलंबित कर दी थीं।
50 दिनों के भीतर निष्पक्ष चुनाव का भरोसा
यूनुस ने जोर देकर कहा कि अंतरिम सरकार लगभग 50 दिनों के भीतर “स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण” चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस चुनाव को लोकतांत्रिक वैधता बहाल करने का अवसर बताया।
चुनाव प्रक्रिया बाधित करने के आरोप
साथ ही यूनुस ने आरोप लगाया कि अपदस्थ अवामी लीग शासन के समर्थक कथित तौर पर चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं।
विदेश से हिंसा भड़काने का दावा
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि एक फरार नेता विदेश से हिंसा को उकसा रहा है, जिससे देश की स्थिति और अस्थिर हो रही है।
इंक़िलाब मंचो ने जन आंदोलन की धमकी दी
हादी के नेतृत्व वाले मंच इंक़िलाब मंचो ने न्याय की मांग करते हुए 24 घंटे का अल्टीमेटम जारी किया है। संगठन ने चेतावनी दी कि यदि कार्रवाई नहीं हुई तो अंतरिम सरकार को हटाने के लिए व्यापक जन आंदोलन शुरू किया जाएगा। समूह ने त्वरित सुनवाई के लिए विशेष ट्रिब्यूनल के गठन, एफबीआई और स्कॉटलैंड यार्ड जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की भागीदारी, तथा गृह और कानून सलाहकारों की जवाबदेही की मांग की। इसके नेताओं ने खुफिया एजेंसियों पर अपराधियों की पहचान करने में विफल रहने का आरोप लगाया और दावा किया कि अवामी लीग से जुड़े सहयोगी सुरक्षा ढांचे के भीतर मौजूद हैं।
एक और युवा नेता को गोली मारी गई
हादी की मौत के कुछ ही दिनों बाद छात्र-नेतृत्व वाले आंदोलन के एक अन्य नेता मोतालेब शिकदर को खुलना में सिर में गोली मारी गई, जिससे चिंताएं और बढ़ गईं। पुलिस ने तलाशी अभियान शुरू किया, लेकिन कहा कि हमले के मकसद और अपराधियों की पहचान अब भी स्पष्ट नहीं है। इस हमले ने इस आशंका को और मजबूत किया कि पिछले वर्ष के विरोध प्रदर्शनों से जुड़े नेताओं को निशाना बनाकर सुनियोजित हिंसा की जा रही है। कई नेताओं के घायल या मारे जाने के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या अंतरिम सरकार चुनाव अवधि के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित कर पाएगी।
भारत ने अल्पसंख्यकों और सुरक्षा को लेकर चिंता जताई
बुधवार को भारत ने बांग्लादेश के राजदूत को तलब कर कूटनीतिक मिशनों और अल्पसंख्यक समुदायों को धमकी देने वाले चरमपंथी तत्वों पर गहरी चिंता जताई। 21 दिसंबर को विदेश मंत्रालय ने उन कथित झूठे दावों को खारिज कर दिया जिनमें नई दिल्ली स्थित बांग्लादेश उच्चायोग की सुरक्षा में सेंध की बात कही गई थी, और कहा कि प्रदर्शन सीमित और नियंत्रित थे। नई दिल्ली ने ढाका से हिंदू व्यक्ति दीपु चंद्र दास की लिंचिंग के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने की मांग की और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर सतर्क रहने की बात कही।
क्या भारत में राजनयिक उपस्थिति घटाएगा बांग्लादेश?
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कहा कि यदि स्थिति और बिगड़ती है तो नई दिल्ली में अपनी राजनयिक उपस्थिति के स्तर की समीक्षा की जा सकती है। विदेश मामलों के सलाहकार एम. तौहीद हुसैन का यह बयान ऐसे समय आया जब भारत ने नई दिल्ली स्थित बांग्लादेश उच्चायोग के बाहर हुए प्रदर्शनों से जुड़ी बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्टों को “भ्रामक प्रचार” बताया था।
सरकारी समाचार एजेंसी बांग्लादेश संगबाद संस्था (बीएसएस) के अनुसार, मीडिया ब्रीफिंग में हुसैन ने कहा,
“भारतीय प्रेस नोट के संबंध में हम इसे पूरी तरह खारिज करते हैं। इस मुद्दे को इस तरह प्रस्तुत किया गया है मानो यह बहुत सरल हो, जबकि वास्तविकता में ऐसा नहीं है।”
शेख हसीना का यूनुस पर तीखा हमला
भारत में निर्वासन के दौरान शेख हसीना ने बांग्लादेश में जारी अस्थिरता के लिए पूरी तरह मोहम्मद यूनुस को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने अंतरिम सरकार पर चरमपंथी तत्वों को बढ़ावा देने, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में विफल रहने और भारत के साथ संबंधों को कमजोर करने का आरोप लगाया। हसीना ने चेतावनी दी कि यूनुस के शासन में बढ़ती अराजकता ने बांग्लादेश की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाया है और क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डाल दिया है। उन्होंने दावा किया कि कट्टरपंथी समूह बिना किसी जनादेश के विदेश नीति को नया रूप देने के लिए यूनुस का इस्तेमाल कर रहे हैं। हसीना ने यह भी कहा कि भारत के साथ संबंध तभी सामान्य होंगे जब देश में वैध और लोकतांत्रिक शासन बहाल होगा। उनके बयान ने पहले से ही अस्थिर राजनीतिक परिदृश्य में एक प्रभावशाली बाहरी आवाज जोड़ दी।
अशांति की शुरुआत कैसे हुई?
ढाका के बिजयनगर इलाके में बेहद नजदीक से गोली मारे जाने के बाद सिंगापुर में दम तोड़ने वाले शरीफ उस्मान हादी की हत्या व्यापक विरोध प्रदर्शनों की वजह बनी। शेख हसीना को सत्ता से हटाने वाले ‘जुलाई विद्रोह’ के प्रमुख नेताओं में शामिल हादी की मौत से उनके समर्थकों में भारी आक्रोश फैल गया। समर्थकों ने राज्य पर निष्क्रियता का आरोप लगाया, जिसके बाद ढाका भर में प्रदर्शन शुरू हो गए। जैसे-जैसे जवाबदेही की मांग तेज होती गई, यूनुस ने राष्ट्रीय शोक दिवस की घोषणा की। यह हत्या अहम चुनाव से कुछ ही सप्ताह पहले राजनीतिक हिंसा की वापसी की आशंकाओं को भी मजबूत करती है।
प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेशी मीडिया संस्थानों को निशाना बनाया
अशांति जल्द ही बांग्लादेश के मीडिया संस्थानों तक फैल गई। ढाका में हिंसक भीड़ ने प्रोथोम आलो, द डेली स्टार और अन्य समाचार संस्थानों के कार्यालयों पर हमला किया। प्रोथोम आलो को अपने 27 वर्षों के इतिहास में पहली बार प्रिंट संस्करण का प्रकाशन रोकना पड़ा। यूनुस ने इन हमलों की कड़ी निंदा करते हुए इन्हें सच्चाई और प्रेस स्वतंत्रता पर हमला बताया और पूर्ण न्याय का आश्वासन दिया। बाद में अधिकारियों ने बताया कि वीडियो फुटेज के आधार पर 31 संदिग्धों की पहचान की गई है और कई गिरफ्तारियां भी हुई हैं, हालांकि बांग्लादेश की लोकतांत्रिक छवि को पहुंचा नुकसान पहले ही काफी गंभीर माना जा रहा है।

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