भारत–न्यूज़ीलैंड व्यापार समझौता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने सोमवार को टेलीफोन पर बातचीत की और भारत–न्यूज़ीलैंड मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप दिए जाने की घोषणा की। दोनों नेताओं ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह एफटीए दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश, नवाचार और साझा अवसरों को बढ़ावा देने में सहायक होगा।
इस व्यापार समझौते को लेकर वार्ता की शुरुआत मार्च 2025 में न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन की भारत यात्रा के दौरान हुई थी। दोनों पक्षों ने इस समझौते को द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को और मज़बूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। इस समझौते से आर्थिक सहयोग में उल्लेखनीय वृद्धि होने, बाज़ार तक बेहतर पहुँच मिलने, निवेश प्रवाह को प्रोत्साहन मिलने और रणनीतिक सहयोग को सुदृढ़ करने की उम्मीद है। साथ ही, यह विभिन्न क्षेत्रों में नवप्रवर्तकों, उद्यमियों, किसानों, एमएसएमई, छात्रों और युवाओं के लिए नए अवसर पैदा करेगा।
भारत–न्यूज़ीलैंड मुक्त व्यापार समझौता (FTA): जानने योग्य प्रमुख बिंदु
भारत के लिए यह मुक्त व्यापार समझौता एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। एफटीए लागू होने के बाद भारत से न्यूज़ीलैंड को होने वाले निर्यात पर सभी टैरिफ लाइनों में शून्य शुल्क (ज़ीरो-ड्यूटी) की सुविधा मिलेगी। इस समझौते से किसानों, एमएसएमई, श्रमिकों, कारीगरों, महिला-नेतृत्व वाले उद्यमों और युवाओं को लाभ मिलने की उम्मीद है। साथ ही, वस्त्र, परिधान, चमड़ा और जूते जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए नए अवसर पैदा होंगे।
इंजीनियरिंग, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, प्लास्टिक, फार्मास्यूटिकल्स और रसायन जैसे विनिर्माण-उन्मुख क्षेत्र भी इस समझौते से लाभान्वित होंगे। इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग को और अधिक गहरा करना है।
यह व्यापार समझौता सेवाओं, श्रम गतिशीलता, वस्तुओं, निवेश और व्यापार सुगमता के क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करने पर केंद्रित है। इसका लक्ष्य अगले पाँच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करना है।
समझौते के तहत न्यूज़ीलैंड ने अगले 15 वर्षों में भारत में 20 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है, जो यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) मॉडल के समान ढांचे पर आधारित होगी। प्रस्तावित निवेश का फोकस विनिर्माण, अवसंरचना, सेवाओं, नवाचार और रोज़गार सृजन पर रहेगा, जिससे भारत के निवेश परिदृश्य को एक बड़ा प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।
यह समझौता कृषि क्षेत्र पर भी विशेष ज़ोर देता है। इसके तहत भारतीय किसानों को न्यूज़ीलैंड के बाज़ार में फलों, सब्ज़ियों, कॉफी, मसालों, अनाज और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के लिए बेहतर बाज़ार पहुँच मिलने की उम्मीद है।
कृषि उत्पादकता साझेदारी, उत्कृष्टता केंद्र (Centres of Excellence) और न्यूज़ीलैंड की उन्नत कृषि तकनीकों तक पहुँच जैसी पहलों के माध्यम से किसानों को अधिक उत्पादकता, बेहतर गुणवत्ता और बढ़ी हुई आय का लाभ मिलने की संभावना है। शहद, कीवीफ्रूट और सेब जैसे बागवानी उत्पादों के लिए लक्षित उपायों का उद्देश्य इस क्षेत्र में सतत विकास को समर्थन देना है।
साथ ही, इस समझौते के तहत भारत ने अपने संवेदनशील घरेलू क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की है। कृषि और इससे जुड़े उत्पादों जैसे डेयरी, चीनी, कॉफी, मसाले, खाद्य तेल, सोना और चाँदी जैसी कीमती धातुएँ, कीमती धातुओं का स्क्रैप, कॉपर कैथोड और रबर आधारित उत्पादों को संरक्षण दिया गया है, ताकि किसानों, एमएसएमई और घरेलू उद्योगों के हित सुरक्षित रह सकें।
यह एफटीए भारत के सेवा क्षेत्र के लिए भी नए अवसर खोलता है। सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और आईटी-सक्षम सेवाएँ, वित्त, शिक्षा, पर्यटन और निर्माण जैसे क्षेत्रों में भारत की भागीदारी को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
समझौते का एक प्रमुख स्तंभ सेवाएँ और श्रम गतिशीलता (मोबिलिटी) है। न्यूज़ीलैंड ने 118 सेवा क्षेत्रों और उप-क्षेत्रों में बाज़ार पहुँच की पेशकश की है तथा 139 सेवा क्षेत्रों में सर्वाधिक अनुकूल राष्ट्र (MFN) का दर्जा प्रदान किया है। वहीं, भारत ने न्यूज़ीलैंड को 106 सेवा क्षेत्रों में बाज़ार पहुँच और 45 क्षेत्रों में MFN दर्जा दिया है। इस समझौते में स्वास्थ्य और पारंपरिक चिकित्सा सेवाओं से संबंधित एक विशेष परिशिष्ट (एनेक्स) भी शामिल किया गया है, ताकि इन क्षेत्रों में व्यापार को बढ़ावा मिल सके। यह पहली बार है जब न्यूज़ीलैंड ने किसी देश के साथ इस तरह के परिशिष्ट पर हस्ताक्षर किए हैं।
इस समझौते में मोबिलिटी से जुड़े प्रावधानों को भी प्रमुखता दी गई है। पहली बार न्यूज़ीलैंड ने किसी देश के साथ छात्र मोबिलिटी और पोस्ट-स्टडी वर्क वीज़ा पर एक परिशिष्ट पर हस्ताक्षर किए हैं। इस व्यवस्था के तहत कोई संख्यात्मक सीमा नहीं रखी गई है और भारतीय छात्रों को प्रति सप्ताह 20 घंटे काम करने का अधिकार सुनिश्चित किया गया है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) विषयों में स्नातक डिग्री धारकों को अधिकतम तीन वर्षों तक, मास्टर डिग्री धारकों को तीन वर्षों तक और डॉक्टरेट डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को चार वर्षों तक पोस्ट-स्टडी वर्क वीज़ा की सुविधा दी गई है।
यह समझौता अस्थायी रोजगार प्रवेश वीज़ा के लिए भी एक नया मार्ग खोलता है, जिसके तहत कुशल व्यवसायों से जुड़े अधिकतम 5,000 भारतीय पेशेवर न्यूज़ीलैंड में अधिकतम तीन वर्षों तक रह सकेंगे। पात्र श्रेणियों में आयुष चिकित्सक, योग प्रशिक्षक, भारतीय शेफ और संगीत शिक्षक शामिल हैं, साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य, शिक्षा और निर्माण जैसे क्षेत्रों के पेशेवर भी इसमें शामिल हैं। इसके अलावा, वर्किंग हॉलिडे वीज़ा व्यवस्था के तहत हर वर्ष 1,000 युवा भारतीयों को 12 महीनों की अवधि के लिए बहु-प्रवेश के साथ न्यूज़ीलैंड यात्रा की अनुमति मिलेगी।
वस्तुओं (गुड्स) के मोर्चे पर, भारत का साधारण औसत MFN शुल्क 16.2 प्रतिशत से घटकर समझौते के लागू होते ही 13.18 प्रतिशत हो जाएगा। पाँच वर्षों के बाद यह और घटकर 10.30 प्रतिशत तथा दसवें वर्ष तक 9.06 प्रतिशत पर पहुँच जाएगा। कुल 70.03 प्रतिशत टैरिफ लाइनों पर बाज़ार पहुँच दी गई है, जबकि 29.97 प्रतिशत को इससे बाहर रखा गया है। इनमें मुख्य रूप से डेयरी, कुछ पशु और वनस्पति उत्पाद, चीनी, वसा और तेल, हथियार और गोला-बारूद, रत्न और आभूषण, तथा तांबा और एल्युमिनियम उत्पाद जैसे संवेदनशील क्षेत्र शामिल हैं।
न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा,
“एनज़ेड–इंडिया मुक्त व्यापार समझौते के संपन्न होने के बाद मैंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की है। यह एफटीए भारत को हमारे 95 प्रतिशत निर्यात पर शुल्क को कम या समाप्त करता है। अनुमान है कि आने वाले दो दशकों में भारत को न्यूज़ीलैंड का निर्यात प्रति वर्ष 1.1 अरब से 1.3 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ सकता है।”
व्यापार को बढ़ावा देने का अर्थ है न्यूज़ीलैंड में अधिक रोज़गार, बेहतर वेतन और मेहनती न्यूज़ीलैंडवासियों (कीवीज़) के लिए अधिक अवसर। यह समझौता हमारे दोनों देशों के बीच मज़बूत मित्रता को और सुदृढ़ करता है। भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और यह समझौता कीवी व्यवसायों को 1.4 अरब भारतीय उपभोक्ताओं तक पहुँच प्रदान करता है। हमारी सरकार बुनियादी ढांचे को मज़बूत करने और भविष्य के निर्माण पर पूरी तरह केंद्रित है, और इस तरह के नए व्यापार समझौते हमारी अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में मदद करते हैं ताकि सभी कीवी आगे बढ़ सकें।
वित्त वर्ष 2024–25 में भारत और न्यूज़ीलैंड के बीच द्विपक्षीय वस्तु व्यापार 1.3 अरब अमेरिकी डॉलर का रहा, जबकि 2024 में वस्तुओं और सेवाओं का कुल व्यापार लगभग 2.4 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। इसमें केवल सेवा व्यापार का योगदान करीब 1.24 अरब अमेरिकी डॉलर था।
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