अपने आदेश में हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि कुलदीप सिंह सेंगर पीड़िता के निवास स्थान से 5 किलोमीटर के दायरे में नहीं आएगा और न ही पीड़िता या उसकी मां को धमकाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि शर्तों के उल्लंघन की स्थिति में जमानत स्वतः रद्द कर दी जाएगी।
हालांकि, सेंगर जेल में ही रहेगा क्योंकि वह पीड़िता के पिता की हिरासत में हुई मौत के मामले में 10 साल की सजा भी काट रहा है और उस मामले में उसे जमानत नहीं मिली है।
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए पीड़िता ने, जो 2017 में अपहरण और दुष्कर्म के समय नाबालिग थी, दिल्ली से फोन पर पीटीआई से कहा कि उसके परिवार के सदस्यों, वकीलों और गवाहों की सुरक्षा पहले ही हटा ली गई है और कोर्ट के इस फैसले ने उसकी आशंकाओं को और बढ़ा दिया है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार (23 दिसंबर 2025) को आजीवन कारावास की सजा काट रहे सेंगर की सजा निलंबित कर दी और दिसंबर 2019 में ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई सजा के खिलाफ दायर अपील के निपटारे तक उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।
पीड़िता ने कहा, “अगर ऐसे मामलों में दोषियों को जमानत मिलती है तो देश की बेटियां कैसे सुरक्षित रहेंगी? हमारे लिए यह फैसला ‘काल’ (मौत) से कम नहीं है।”
उन्होंने दुख जताते हुए कहा, “जिसके पास पैसा है वही जीतता है, और जिसके पास पैसा नहीं है वह हार जाता है।”
मंडी हाउस में फैसले के खिलाफ प्रदर्शन के लिए अपनी मां के साथ निकलते समय पीड़िता ने कहा कि वह हाई कोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।
उल्लेखनीय है कि उन्नाव रेप केस और उससे जुड़े अन्य मामलों को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर अगस्त 2019 में उत्तर प्रदेश से दिल्ली स्थानांतरित किया गया था।

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